ध्यान क्या है कैसे करें

 

  साधारण शब्दों में कहा जाए तो ध्यान है किसी भी काम को ध्यान पूर्वक करना, सजगता से करना सोच विचार कर करना और जो काम आप कर रहे हैं उस काम के बीच में किसी अन्य काम को ना लाना, उदाहरण के लिए यदि आप गाड़ी चला रहे हैं और गाड़ी चलाते समय आप मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह ध्यान नहीं है और यदि गाड़ी चलाते समय आपका पूरा ध्यान गाड़ी चलाने पर है तो यह ध्यान है, अक्सर हम ध्यान को एक अजीबोगरीब सी चीज समझते हैं जबकि यह एक साधारण सी चीज है और इसे सहजता से समझना चाहिए ना कि अंधविश्वास या आडंबर से उदाहरण के लिए यदि आप पढ़ रही हैं आपका ध्यान आपकी पढ़ाई की तरफ होना चाहिए कानों में आने वाली आवाज की तरफ नहीं होना चाहिए जो बाहर से सुनाई दे रही यदि आप टीवी की आवाज सुनेंगे टीवी में नाटक के बारे में सोचना शुरु कर देंगे बाहर से किसी मित्र संबंधी या माता-पिता की आवाज सुनेंगे तो उसके बारे में सोचना शुरु कर देंगे ऐसे में आपकी पढ़ाई सही से नहीं हो पाएगी और इसके विपरीत यदि आप का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर है बाहर क्या हो रहा है इस पर आपका कोई ध्यान नहीं है तो आप जो कुछ पढ़ रहे हैं वह आसानी से आपको समझ आ जाएगा यही ध्यान है हमारी ज्ञानेंद्रियां सुबह से शाम तक अनेकों नेक विषयों के संपर्क में आते हैं उनमें से बहुत से विषय  ऐसे होते हैं होते हैं जो हमारे किसी काम के नहीं होते यदि हम सजग हैं हमें हमारे लक्ष्य का ध्यान है यदि हम यह जानते हैं कि हमें किस विषय को अपने अंदर जाने देना चाहिए और किसको नहीं तो हम ध्यान ही कर रहे हैं यही ध्यान है और यदि हमें इसका ज्ञान नहीं है तो हमें ध्यान पूर्वक इसका अभ्यास करना चाहिए, ध्यान करने के बहुत से तरीके बतलाइए जाते हैं  त्राटक, सांसों के ऊपर ध्यान, दिए की लौ या किसी बिंदु को बिना पलकें झपकाए देखना इत्यादि यह ध्यान की कुछ क्रियाएं हैं जिससे हमारा मन हमारे वश में हो जाता है, मन को जो निरंतर भटकता रहता है किसी एक विषय पर स्थिर करना ही ध्यान है । पवन 0 /उर्फ जीरो बाबा

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